किशोरावस्था के दौरान, आपके वीर्यपात की मात्रा बढ़ती जाती है और उसकी बनावट और मात्रा में बदलाव होता है।
- वीर्य की औसत मात्राः 0.5 मिलीलीटर
- रंग और बनावटः रंगहीन, चिपचिपा (जेली जैसा)
- शुक्राणुओं की औसत मात्राः कुछ शुक्राणु- प्रति मिलीलीटर 10 लाख से कम
पहले वीर्यपात से छह महीने बादः
- वीर्य की औसत मात्राः 1 मिलीलीटर
- रंग और बनावटः रंगहीन, चिपचिपा (जेली जैसा)
- शुक्राणुओं की औसत मात्राः प्रति मिलीलीटर 2 करोड़
पहले वीर्यपात से एक साल बादः
- वीर्य की औसत मात्राः 2.5 मिलीलीटर
- रंग और बनावटः रंगहीन या सफेद, चिपचिपा (जेली जैसा) द्रव
- शुक्राणुओं की औसत मात्राः प्रति मिलीलीटर 5 करोड़
पहले वीर्यपात से दो साल बाद - एक वयस्क पुरुष जैसाः
- वीर्य की औसत मात्राः 3.5 मिलीलीटर
- रंग और बनावटः सफेद, चिपचिपा द्रव
- शुक्राणुओं की औसत मात्राः प्रति मिलीलीटर 3 करोड़
तुलना के लिए, चाय का एक चम्मच 5 मिलीलीटर के बराबर होता है।
पहला वीर्यपात और गर्भधारण
90 प्रतिशत लड़कों में पहले वीर्यपात के समय, वीर्य में कोई शुक्राणु नहीं होते- शुक्राणु वे कोशिकाएँ हैं जो लड़की के डिम्ब को निषेचित करती हैं और वह गर्भवती हो जाती है।
किंतु इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपके पहले वीर्यपात में कोई शुक्राणु मौजूद होंगे अथवा नहीं।
इसलिए किसी लड़की के साथ सेक्स करते समय हमेशा गर्भनिरोधक का प्रयोग करें।
सबसे सुरक्षित तरीका है दोहरी सुरक्षा ‘डबल डच’ - अर्थात् कंडोम पहनना और साथ में किसी दूसरे गर्भनिरोधक का भी प्रयोग करना।
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