Thursday, December 17, 2015

Swapandosh Rokne Ke Upay


  1. स्वप्नदोष रोकने के कुछ कारगर उपाय :

  1. खुद को व्यस्त रखें, और अपने विचारों और मन में शुद्धता लाएँ. आपके दिमाग या मन में अश्लील या कामुक बातें नहीं होंगी, तो स्वप्नदोष भी नहीं होगा.
  2. Porn Films न देखें, क्योंकि इससे आपका दिमाग कामुक विचारों से मुक्त नहीं हो पायेगा.
  3. नहाने के लिए ठंडे पानी का उपयोग करें, गर्म पानी से न नहाएँ.
  4. सोने से पहले रात में गर्म दूध न पिएँ.
  5. हफ्ते में 1 बार हस्तमैथुन कर सकते हैं, इससे वीर्य की अधिक होने वाली मात्रा बाहर निकल जाएगी. जिससे स्वप्नदोष नहीं होगा.
  6. सोने से 2-3 घंटा पहले खाना खा लें. और सुपाच्य भोजन हीं करें.
  7. आपकी दिनचर्या ऐसी होनी चाहिए जिससे आपको अश्लीलता के चक्कर में पड़ने का समय हीं न मिले.
  8. हर दिन सूर्योदय से पहले उठें, व्यायाम, योग एवं रोज पूजा करें. धार्मिक चीजों की ओर अपनी रूचि बढ़ाएं.
  9. रात में सोने से पहले पेशाब जरुर करें और रात में पानी कम पिएँ.
  10. रात में सोने से पहले अंडरवियर खोल लें और Lower या किसी अन्य तरह का ढीला कपड़ा पहनकर सोएँ.
  11. सुबह-सुबह खाली पैर घास में Morning Walk करें.
  12. लिंग की नियमित सफाई करें.
  13. स्वपनदोष के मुख्य कारण :
    1. अश्लीन कहानियाँ पढ़ना या Porn Films देखना.
    2. Sex के बारे में बहुत ज्यादा सोचना या स्त्री के कोमल या यौनांगों के बारे में ज्यादा पढ़ना, देखना या सुनना.
    3. वीर्य का ज्यादा दिनों से स्खलित नहीं होना, मतलब वीर्य का Over Stock होना.
  14. अन्य किसी तरह का प्रयोग करने की जरूरत नहीं है. न हीं किसी नीम-हकीम के झांसे में आने की जरूरत है. स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है,

Vastu Tips For Home in Hindi

  1. पूजा घर उत्तर-पूर्व दिशा अर्थात ईशान कोण में बनाना सबसे अच्छा रहता है. अगर इस दिशा में पूजा घर बनाना सम्भव नहीं हो रहा हो, तो उत्तर दिशा में पूजा घर बनाया जा सकता है. लेकिन ध्यान रखें कि ईशान कोण सर्वश्रेष्ठ दिशा है.
  2. पूजा घर से सटा हुआ या पूजा घर के ऊपर या नीचे शौचालय नहीं होना चाहिए.
  3. पूजा घर में प्रतिमा स्थापित नहीं करनी चाहिए क्योंकि घर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति का ध्यान उस तरह से नहीं रखा जा सकता है जैसा कि रखा जाना चाहिए. अतः छोटी मूर्तियाँ और चित्र हीं पूजा घर में लगाने चाहिए.
  4. सीढ़ी के नीचे पूजा घर नहीं बनाना चाहिए.
  5. फटे हुए चित्र, या खंडित मूर्ति पूजा घर में बिल्कुल नहीं होनी चाहिए.
  6. पूजा घर और रसोई या बेडरूम एक हीं कमरे में नहीं होना चाहिए.
  7. घर के मालिक का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए. अगर इस दिशा में सम्भव न हो, तो उत्तर-पश्चिम दिशा दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.
  8. गेस्ट रूम उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए. अगर उत्तर-पूर्व में कमरा बनाना सम्भव न हो, तो उत्तर पश्चिम दिशा दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.
  9. उत्तर-पूर्व में किसी का भी बेडरूम नहीं होना चाहिए.
  10. रसोई के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा सबसे अच्छी होती है.
  11. शौचालय और स्नानघर दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना सर्वश्रेष्ठ है.
  12. घर की सीढ़ी सामने की ओर से नहीं होनी चाहिए, और सीढ़ी ऐसी जगह पर होनी चाहिए कि घर में घूसने वाले व्यक्ति को यह सामने नजर नहीं आनी चाहिए.
  13. सीढ़ी के पायदानों की संख्या विषम 21, 23, 25 इत्यादि होनी चाहिए.
  14. सीढ़ी के नीचे शौचालय, रसोई, स्नानघर, पूजा घर इत्यादि नहीं होने चाहिए. सीढ़ी के नीचे कबाड़ भी नहीं रखना चाहिए.
  15. सीढ़ी के नीचे कुछ उपयोगी सामान रख सकते हैं और सीढ़ी के नीचे रखे हुए सामान सुसज्जित होने चाहिए.
  16. घर का कोई भी रैक खुला नहीं होना चाहिए. उसमें पल्ले जरुर लगाने चाहिए.
  17. घर में कबाड़ नहीं रखना चाहिए.
  18. कमरे की लाइट्स पूर्व या उत्तर दिशा में लगी होनी चाहिए.
  19. घर के ज्यादातर कमरों की खिड़कियाँ और दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा में खुलने चाहिए.
  20. सीढ़ी पश्चिम दिशा में होनी चाहिए.
  21. घर का मुख्य दरवाजा दक्षिणमुखी नहीं होना चाहिए. अगर मजबूरी में दक्षिणमुखी दरवाजा बनाना पड़ गया हो, तो दरवाजे के सामने एक बड़ा सा आईना लगा दें.
  22. घर के प्रवेश द्वार में ऊं या स्वस्तिक बनाएँ या उसकी थोड़ी बड़ी आकृति लगाएँ.
  23. पूजा घर या उत्तर-पूर्व दिशा में जल से भरकर कलश रखें.
  24. शयनकक्ष में भगवान की या धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी तस्वीर नहीं लगानी चाहिए.
  25. ताजमहल एक मकबरा है, इसलिए न तो इसकी तस्वीर घर में लगानी चाहिए. और न हीं इसका कोई शो पीस घर में रखना चाहिए.
  26. जंगली जानवरों के फोटो घर में नहीं रखने चाहिए.
  27. पानी के फुहारे को घर में नहीं लगाना चाहिए. क्योंकि इससे धन नहीं ठहरता है.
  28. नटराज की तस्वीर या मूर्ति घर में नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इसमें शिवजी ने विकराल रूप लिया हुआ है.
  29. महाभारत का कोई भी चित्र घर में नहीं रखना चाहिए. क्योंकि इससे कलह कभी खत्म नहीं होता है.

Friday, December 11, 2015

स्त्री के स्तनों को टाइट/ संकोचन करना Woman's breasts tight / to shrinkage

1. कटेरी: छोटी कटेरी -बड़ी कटेरी की जड़े, फदूंरी की जड़, अनार का बकला (छाल) और मौलश्री की छाल को पीसकर स्तनों (कुचों) पर लेप करने से कुच कठोर हो जाते हैं।
2. बरगद: बरगद की नई कोमल बरोहें को लाल-लाल पानी में पीसकर स्तनों पर लेप करने से कुच कठोर हो जाते हैं।
3. अनार: अनार की छाल (बकले) लगभग 1 किलो और माजूफल 125 ग्राम को लगभग 2 लीटर पानी में डालकर पकायें जब पानी आधा बच जाये तब इसे छानकर रख लें, फिर इसी में 125 मिलीलीटर तिल्ली का तेल डालकर पकाकर आधा करके स्तनों पर लेप करने से स्तन कठोर होते हैं।
4. गिजाई: गिजाई, नमक और मुल्तानी मिट्टी को मिलाकर डालकर रख दें, फिर इसी मिट्टी को कुचों (स्तनों) के ऊपर से लेप करने से स्तन कठोर होते हैं।
5. मोचरस: मोचरस को पानी में मिलाकर कुचों (स्तनों) पर लगाने से कुच सख्त होते जाते हैं।
6. धतूरा: धतूरे के पत्तों पर एरण्ड का तेल गर्म-गर्म करके स्तनों के दर्द वाले भाग पर बांधने से दर्द कम होता है और स्तन कठोर हो जाते हैं।
7. लहसुन: स्तनों का ढीलापन दूर करने के लिए नियमित रूप से लहसुन की 4 कली खाते रहने से स्तन उभरकर तन जाते हैं।
8. छुई-मुई: छुई-मुई और असगंधा की जड़ को पीसकर लेप बना लें और स्तनों पर लगायें। इससे स्तनों का ढीलापन खत्म होकर कठोर और मोटे होते हैं।
9. बबूल: बबूल की फलियों के चेंप से किसी कपड़े को गीला करके, सुखा लें। इस कपड़े को बांधने से ढीले स्तन कठोर हो जाते हैं।
सावधानी:
ध्यान रहें कि इसका प्रयोग बच्चे वाली माता को नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दूध के सूखने का डर रहता है।
1. Kateri: Little Kateri Kateri-large root, root Fdunri, pomegranate Bkla (bark) and ground bark of Mulsri breasts (Kuchon) marched on the coat becomes rigid.
2. Banyan: Banyan's new soft Brohen Grind the red water and apply it on the breasts marched become stiff.
3. Pomegranate: pomegranate bark (Buckley), approximately 1 kg and 125 grams of nut cook it in about 2 liters of water should then filter it and keep the water away half, then half cooked, add the oil in 125 ml of spleen on the breasts The breasts are hard to apply.
4. gijai: gijai, add salt and put together Multani clay, then the clay Kuchon (breasts) and apply it to the top of the breast are harsh.
5. Mocrs: Mocrs mixed water Kuchon (breasts) are put on strict are marched.
6. Datura: hare leaves of castor oil hot and breast pain and breast pain by tying on the part becomes rigid.
7. Garlic: breasts to sag off 4 bud Eating garlic regularly tan breasts are emerging.
8. Mimosa: Mimosa and Asgandha Make a paste by grinding the roots and apply on the breasts. It ended the breasts sag and are hard and thick.
9. Acacia: Acacia beans Chenp any clothes wet, dry. The fabric from tying up loose breasts become stiff.
Caution:
Note that the mother of the child should not use it because it is afraid of drying of milk.

Monday, December 7, 2015

नपुंसकता (Impotence)

Impotence
नपुंसकता का उपचार (Impotence Treatment)
1. अफीम
सफेद संखिया तथा शुद्ध अफीम- इन दोनों को 15-15 ग्राम की मात्रा में लेकर 5 लीटर गाय के दूध के अंदर अच्छी तरह से मिलाकर इसके अंदर दही का जामन देकर इसे जमाने के लिए रख दें। सुबह होने के पश्चात इस दही को अच्छी तरह से बिलोकर इसका मक्खन निकाल लें।
इसके बाद इस निकाले हुए शुद्ध घी को एक चावल के दाने के बराबर लेकर पान के साथ खाने से तथा लिंग के अग्र भाग (टोपी) को छोड़कर लिंग पर लगाने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
2. पीपल की छालः-
पीपल की छाल, जड़ व कोपलें तथा फल- इन चारों को आधा लीटर गाय के दूध में अच्छी तरह से पका कर इस दूध को छान लें। इसके बाद इस दूध में 25 ग्राम देशी खांड या पीसी हुई मिश्री तथा 15 ग्राम शुद्ध शहद को मिलाकर लगभग 3 से 4 महिनों तक इस दूध को रोगी को पिलाए, इस दूध को पीने से सेक्स करने की ताकत बहुत अधिक बढ़ जाती है और लिंग के होने वाले अन्य रोग भी समाप्त हो जाएंगे।
3. सफेद प्याजः-
सफेद प्याज के 10 ग्राम रस को 5 ग्राम शुद्ध शहद के अंदर मिलाकर सुबह और शाम दोनों समय रोजाना खाते रहने से रक्त के दोष के कारण उत्पन्न नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
4. मुलहटीः-
मुलहटी के चूर्ण के अंदर शुद्ध घी और शहद को समान मात्रा में मिलाकर खाने से और उसके ऊपर से चीनी मिला हुआ मीठा दूध पीने से शुक्राणुओं की कमी से आई नपुंसकता खत्म हो जाती है।
5. जायफलः-
जायफल, केशर और जावित्री- इन तीनों को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में लेकर 15 ग्राम मीठे बादाम के तेल में खूब बारीक कूट-पीसकर लिंग पर लेप करने से तथा पान में रखकर खाने से अप्राकृतिक ढ़ग से किया हुआ मैथुन से पैदा हुई नपुंसकता समाप्त हो जाती है। लिंग के अंदर बहुत ही अधिक ताकत आती है।
अगर पुरुष के अंदर नपुंसकता मानसिक है और उसके अंदर शारीरिक रूप से किसी भी तरह की कोई कमी के न होते हुए भी उस पुरुष को यह हीन भावना आ जाती है कि वह यह सोचता है कि मैं कोई काम कर काम कर पाऊंगा या नहीं, या किसी तरह का कोई डर, मन के अंदर किसी प्रकार का कोई संकोच, अकेले रहने की कमी, अपने मित्रों के साथ सम्मान या नफरत के देखना, सेक्स के प्रति कमजोरी होने से लिंग (शिश्न) में किसी भी तरह की कोई उत्तेजना न होना। लिंग के अंदर पूर्ण रूप से तनाव न हो पाने के कारण कई बार पुरुष अपने आप को सेक्स करने के काबिल नहीं समझता है। अगर उसके ये विकार (कारण) समाप्त कर दिए जाए तो उसे सेक्स क्रिया करने में रुचि अपने आप ही पैदा हो जाएगी तथा अगर नपुंसकता के रोग को अपने जीवन साथी का साथ मिल जाए, आंनद्दित वातावरण और संभोग क्रिया करने में सफल होने का पक्का विश्वास उत्पन्न हो जाए तो वह पुरुष सेक्स करने में सफल हो जाएगा।
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To make a successful sex life is the most simple means. Having sexual relations with a woman married to a much more powerful and enjoyable are able to make love. But at times it is also their success in life due to lack of ability to enjoy sex do not get. Many men fail at once due to the sex considered themselves so they lose their composure and their fear of impotence in mind restless and badly and are filled with stress.
Inside medical impotence can also call Inpotensi. This disease of the mind in the person maintaining the wrong idea about sex because my wife can not fully satisfied. At this time, most young men are suffering from diseases like Inpotensi. The second type can be called impotence impotence infertility ie. The man inside the female orgasm satisfied by doing so will give them but the amount of sperm in the semen of men who are less so or not at all because they can not produce offspring, or they failed to produce offspring live.
Impotence treatment (Impotence Treatment)
1. Opium
White arsenic and 15-15 grams of pure Afim- both inside the 5 liters of cow's milk in the yogurt and mix well with the sourdough and leave it for days. After morning the yogurt well Bilokr remove the butter.
Then I brought the equivalent of a grain of rice with ghee in a pan with the food and the front of the penis (cap) ends except impotence and apply on the penis.
2. People's Chhalः-
People, bark, roots and seedlings and fruit, all four half-liter of cow's milk, the milk Sieve well cooked. Then the milk has 25 grams of sugar and 15 grams of native clause or PC about 3 to 4 months of pure honey to the patient to drink this milk, the milk drinking too much increases the strength of sex and gender Other diseases also will be eliminated.
3. White Pyajः-
10 g of white onion juice mixed with 5 grams of pure honey in the morning and evening to eat two times a day due to a defect in the blood ends impotence.
4. Mulhtiः-
Mulhti powder inside the ghee and honey mixed in equal amounts by eating the sweet milk and sugar over his lack of sperm came from impotence ends.
5. Jayflः-
Nutmeg, saffron and three Javitri- 1 to 2 grams to 15 grams, sweet almond oil and apply it on the hair fine pseudo-ground of sex and put in pan and proper eating unnatural sex arose from the impotence ends. Inside there is a very high strength of the penis.
Inside the male impotence is psychological and the physical constraints of any kind was not much that no man comes to the inferiority complex that he thinks that I will be able to work or not to work, or no fear of any kind, in any way hesitate in mind, let alone the lack of respect with your friends or see hate, sexual weakness and penis (penis) should not affect in any way. Inside the penis could not be completed due to the stress many times considers man incapable of yourself having sex. If the disorder (due) to the end, it will cause its own interest in sex action and the impotence of the disease with their spouses find Aannddit environment and confidence to be successful in sexual activity Once generated, it will be successful in the male sex.

Sunday, December 6, 2015

सेक्स के बाद थकान क्यों महसूस करते हैं पुरुष

1 सेक्‍स के बाद थकान

सेक्‍स संबंध को सबसे अच्‍छा व्‍यायाम माना जाता है, लेकिन अक्‍सर पुरुष सेक्‍स संबंध बनाने के बाद थक जाते हैं, कुछ तो सेक्‍स के बाद सोना पसंद करते हैं। वर्तमान में तनाव और वयस्‍त दिनचर्या भी इसके लिए बहुत जिम्‍मेदार है। आगे के स्‍लाइडशो में जानिए सेक्‍स संबंध बनाने के बाद पुरुष थकान क्‍यों महसूस करते हैं।

2 हार्मोन भी है जिम्‍मेदार

सेक्‍स के बाद पुरूषों को थकान होना या सो जाने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण है। यौन संबंध के बाद पुरुषों में होने वाले ऑक्सिटोसिन हॉर्मोन के स्राव और प्रोलेक्टिन के स्राव के कारण भी ऐसा होता है। सेक्स के दौरान पुरुषों के शरीर में ऑक्सिटोसिन हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है जो आराम का अनुभव कराता है। इसके कारण ही पुरूषों को सेक्‍स के बाद नींद भी आती है।

3 सेक्‍स संबंध के बाद

पुरुष सेक्‍स संबध की चरम सीमा तक पहुंचने के बाद थकान का अनुभव करते हैं, जबकि महिलायें आर्गेज्‍म के बाद भी पुरूषों का प्‍यार चाहती हैं लेकिन ज्‍यादातर पुरूष उसे नहीं समझ पाते और चरमसीमा पर पहुंचकर सो जाते हैं।

4 अधिक कैलोरी समाप्‍त होना

सेक्‍स संबंध बनाने के दौरान महिलाओं की तुलना में पुरूषों कैलोरी ज्‍यादा खर्च होती हैं, जिससे उनके अंदर थकान बढ़ जाती है और उन्‍हें सोना अधिक पसंद आता है।

5 तनाव दूर होता है

वैसे ये भी माना ही जाता है कि सेक्‍स अच्‍छी नींद के लिए बहुत अच्‍छा है। इससे नींद बहुत अच्‍छी आती है। यौन संबंध से थकान और तनाव भी दूर होता है। जिसके कारण पुरुष सोना पसंद करते हैं।

6 नींद आना अच्‍छी बात

सेक्‍स संबंध के दौरान चरम सीम तक पहुंचने के बाद मनुष्‍य के शरीर में होने वाले हार्मोन के स्राव अच्‍छे संकेत हैं, इसका मतलब यह भी है कि आपको सेक्‍स संबंधित कोई बीमारी नहीं। इसलिए सेक्‍स संबंध के बाद थकान और नींद को गलत नजरिये से नहीं देखना चाहिए।

Tuesday, December 1, 2015

आलू के बारे मे


भारत और विश्व में आलू विख्यात है और अधिक उपजाया जाता है. यह अन्य सब्जियों के मुकाबले सस्ता मिलता लेकिन गुणों से भरपूर . आलू से मोटापा नहीं बढ़ता. आलू को तलकर तीखे मसाले, घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है. आलू को उबालकर अथवा गर्म रेत या राख में भूनकर खाना लाभदायक और निरापद है.
आलू में विटामिन बहुत होता है. आलू को छिलके सहित गरम राख में भूनकर खाना सबसे अधिक गुणकारी है. इसको छिलके सहित पानी में उबालें और गल जाने पर खाएं। इसको मीठे दूध में भी मिलाकर पिला सकते हैं.
आलुओं में प्रोटीन होता है, सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है. आलू का प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाला और बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने वाला होता है.
आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन-बी तथा फास्फोरस बहुतायत में होता है. आलू खाते रहने से रक्त वाहिनियां बड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पातीं.
यदि दो-तीन आलू उबालकर छिलके सहित थोड़े से दही के साथ खा लिए जाएं तो ये एक संपूर्ण आहार का काम करते हैं.
आलू के छिलके ज्यादातर फेंक दिए जाते हैं, जबकि अच्छी तरफ साफ़ किये छिलके सहित आलू खाने से ज्यादा शक्ति मिलती है. जिस पानी में आलू उबाले गए हों, वह पानी न फेंकें, बल्कि इसी पानी से आलुओं का रस बना लें. इस पानी में मिनरल और विटामिन बहुत होते हैं.
आलू पीसकर, दबाकर, रस निकालकर एक चम्मच की एक खुराक के हिसाब से चार बार नित्य पिएं, बच्चों को भी पिलाएं, ये कई बीमारियों से बचाता है. कच्चे आलू को चबाकर रस को निगलने से भी बहुत लाभ मिलता है.
कुछ अन्य:
- कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ.
- शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।.
-भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है. आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है.
-चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएं। इससे गठिया ठीक हो जाता है.
-गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है. पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं.
-उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है.
-आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा.
- कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5 से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है.

Tuesday, November 24, 2015

वीर्य में शुक्राणुओं की कमी Lack of sperm in the semen

बच्चा पैदा करने के लिए सिर्फ एक बलशाली शुक्राणु की जरूरत होती है, जो स्त्री के अंडाणु से संयोग कर गर्भ में परिवर्तित होता है। वीर्य में शुक्राणुओं की कमी होने या शुक्राणु कमजोर होने पर बच्चे पैदा करने में परेशानी होती है।
चिकित्सा
शुक्राणुओं को बढ़ाने व उन्हें बलशाली बनाने के लिए इस प्रकार का प्रयोग करें- इसके लिए शतावरी, गोखरू, बड़ा बीजबंद, बंशलोचन, कबाब चीनी, कौंच के छिलकारहित बीज, सेमल की छाल, सफेद मुसली, काली मुसली, सालम मिश्री, कमल गट्टा, विदारीकंद, असगन्ध सब 50-50 ग्राम और शक्कर 300 ग्राम, सभी द्रव्यों को अलग-अलग कूट-पीसकर कपड़छान कर लें।
शक्कर को भी पीसकर महीन कर लें और सभी को मिला लें व तीन बार छान लें, ताकि एक जान हो जाएं। सुबह-शाम एक-एक चम्मच चूर्ण मीठे दूध के साथ 60 दिन तक सेवन करें और इसके बाद वीर्य की जाँच करवाकर देख लें कि शुक्राणुओं में क्या वृद्धि हुई है।
पर्याप्त परिणाम न मिलने तक प्रयोग जारी रखें। यह नुस्खा शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, नपुंसकता आदि बीमारियों में भी लाभ करता है।

स्त्री को संतुष्ट करना TO DISCHARGE FEMALE

परिचय:
कभी-कभी स्त्री और पुरुष संभोगक्रिया के दौरान प्राकृतिक रूप से स्खलित हो जाते हैं। परंतु कभी-कभी पुरुष संभोग के दौरान पुरुष का वीर्य निकल जाता हैं पर स्त्री की कामोत्तेजना (कामाग्नि) शेष रह जाती हैं जिसके कारण पति और पत्नी के दाम्पत्य जीवन में चिड़चिड़ापन आ जाता है। ऐसी स्थिति में पुरुष और अधिक देर तक संभोगक्रिया कर सके और स्त्री को स्खलित या द्रवित कर पाये इसे ही स्त्री को द्रवित करना या संतुष्ट करना कहते हैं।
चिकित्सा :
गन्धक
गन्धक को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद में मिलाकर लिंग के अगले भाग को छोड़कर बाकी के भाग पर लेप करने के थोड़ी देर बाद संभोग करने से संभोग में लाभ मिलता है।
फिटकरी
फिटकरी को पुरुष अपनी कमर पर बांधकर सहवास (संभोग) करें तो वीर्य जल्दी नहीं निकलता है।
पान
पान में थोड़ी-सी मात्रा में सुहागा मिलाकर स्त्री को खिलाने के थोड़ी देर बाद सहवास (संभोग) करने से स्त्री पहले स्खलित हो जाती है।
कपूर
कपूर को लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग की मात्रा में स्त्री को प्रतिदिन खिलाने से स्त्री की कामोत्तेजना कम हो जाती है।
मेढ़क की हड्डी
मेढ़क की हड्डी को कमर पर बांधकर संभोग करने से पुरुष का वीर्य का जल्दी निकलना बंद हो जाता हैं। माना जाता है कि जब तक इसे कमर से उतारा न जाये तब तक वीर्य स्खलित नहीं होता है।

Thursday, October 29, 2015

वियाग्रा से ज्यादा ताकत देते हैं ये सुपरफूड

टमाटर: टमाटर में मौजूद लियोपीन से यौन इच्छाएं तथा शारीरिक क्षमता बढ़ती है। इसमें पाए जाने वाले रसायनों से पुरूषों के जननांगों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर में भी राहत मिलती है। विटामिन सी का स्त्रोत होने के कारण टमाटर से दिमाग को तनाव से मुक्त कर उन्मुक्त जीवन जीने के लिए क्षमता देता है।.
लहसुन-प्याज: भारतीय आध्यात्म में पूजा-पाठ तथा अन्य धार्मिक कार्य करने वालों के लिए लहसुन तथा प्याज खाने की स्पष्ट मनाही की गई है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही है ये दोनों ही शरीर में गर्मी बढ़ाने के साथ शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा और क्षमता दोनों को आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा देते हैं।
लहसुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक एंटीबॉयोटिक माना जाता है। कहा भी गया है लहसुन खाने वालों को कभी कोई बीमारी नहीं होती। यह वियाग्रा की ही तरह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन तेज कर शारीरिक क्षमता को बढ़ा देता है 
पालक: पालक में एमिनो एसिड, आयरन और फ्लोरेट की भरपूर मात्रा होने के कारण यह लव लाइफ सुधारने के लिए वियाग्रा से भी अधिक कारगर दवाई है। नियमित खान-पान में पालक का सूप तथा सब्जी शामिल करने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी तेज होता है जिससे ह्रदय रोग तथा पुरूषों के जननांगों के रोगों में राहत मिलती है 
भिंडी : भिंडी में जिंक और विटामिन काफी मात्रा में होते हैं। उल्लेखनीय है कि जिंक का पुरूषों में होने वाले इरेक्टाइल इंफेक्शन के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही भिंडी के सेवन से शारीरिक थकान दूर होती है और यौन शक्ति बढ़ती है
गाजर तथा चुकंदर : गाजर व चुकंदर में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है जिससे पौरूष तथा शुक्राणुओं में होने वाली बीमारियों का उपचार होता है। रोजमर्रा के खाने में इनका नियमित इस्तेमाल कर बुजुर्ग भी अपनी शारीरिक क्षमता को आश्चर्यजनक रूप से सुधार सकते हैं
अनार : विटामिन्स तथा प्राकृतिक खनिज तत्वों का स्रोत होने के कारण अनार व्यक्ति की सेक्स लाइफ के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। वैसे भी डॉक्टर्स के अनुसार रोजाना अनार खाना शारीरिक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ यौन क्षमता भी बढ़ाता है

Monday, September 21, 2015

बर्फ से बढ़ती हैं यौन शक्ति



यदि किसी स्थान पर चोट लग जाए तो उस स्थान पर बर्फ लगाने से तुरंत आराम मिलता है। साथ ही उस स्थान पर नील बंधने का डर भी खत्म हो जाता है।
पुरूषों में अक्सर यौन स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं इसके लिए भी आयुर्वेद के पंचकर्म विशेषज्ञ जननेन्द्रिय पर बर्फ लगाने की सलाह देते हैं। इससे रक्त का संचार सुचारू रूप से होने लगता है और यौन शक्ति बढ़ती है। परन्तु यह समय 20 मिनिट से अधिक नहीं होना चाहिए।

Monday, August 10, 2015

योनि का ढीलापन

हिलाओं योनि के सही आकार की समस्या का सामना. अक्सर बच्चे के जन्म के बाद योनि से आकार बदल जाता है. योनि ढीली होकर फ़ेल जाया करती है। महिलाओं को अक्सर योनि की समस्या का सामना रजोनिवृत्ति या अक्सर सेक्स की वजह से होता है.अत्यधिक कामुक स्थिति में पति या पार्टनर द्वारा तेज गति से संभोग करने,अप्राकृतिक एवं असुविधाजनक सेक्स-आसनों (sex positions) में बर्बरतापूर्वक सेक्स करने से ,कई बार-प्रसव होने के अलावा शारीरिक दुर्बलता व शिथिलता जैसे कारणों की उपस्थिति में स्त्री की योनि ढीली होकर फ़ेल जाया करती है। इससे स्त्री-पुरुष दोनो ही संभोग क्रिया में अपेक्षित आनंद की अनुभूति नहीं कर पाते हैं।
बेडोल पुरुष विकल्प के तौर पर अन्य स्त्री के साथ समीकरण बैठा लेते हैं और गृहस्थी जीवन मे सुख,शांति,आनंद का अभाव पसरने लगता है। समय रहते योनि प्रसारण और ढीलेपन को नियंत्रित कर नव योवना के समान योनि के आकार प्रकार को पुन: स्थापित करने के लिये स्त्रियों को निम्न उपायों का सहारा लेना लाभदायक रहेगा। पेशाब करते समय स्त्री कुछ समय के लिये पेशाब को रोके फ़िर चालू करे ऐसा एक बार के पेशाब के दौरान ३-४ बार करने से योनि की पेशियां सुद्रड बनती हैं। वज्रासन की स्थिति में बैठकर शंखचालिनी मुद्रा और मूल बंध लगाने का अभ्यास नियमित करने से योनि संकोच होता है। सभी नुस्खे अनुभूत और पूरी तरह कारगर हैं।हां, ये नुस्खे सभी एक साथ नहीं बल्कि सुविधानुसार एक-एक नुस्खा इस्तेमाल करना चाहिये।
यह महत्वपूर्ण है कि आकार में योनि रखना. योनि आकर के फ़ैल जाने से उनको कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है कभी कभी, महिलाओं को रोक उनकी विकृत योनि आपके यौन जीवन बहुत अधिक असहज लगने लगता है . योनि क्रीम का प्रयोग करें उत्तेजना योनि ओर्गास्म्स और योनि होंठ का सटीक आकार बढ़ा सकते हैं.
ढीली योनि के संकेत
कुछ कठिनाई हो सकती है यह पता लग पाने में कि आपकी योनि ढीली हैl क्योंकि वहाँ एक मानक जकड़न या आकार के रूप में कोई चीज नहीं है. यदि आप के साथी की यह शिकायत है कि आपकी योनि ढीली है , लेकिन हो सकता है की आपकी राय साथी के समान राय नहीं हो. लेकिन यहाँ कुछ संकेत दिए गए हैं जिससे यह पता लगाया जा सकता है की आपकी योनि ढीली है:
  • आप अपनी योनि में बड़ी वस्तु के डालने पर ही उत्तेजना महसूस करते हैं.
  • आपको तर्जनी से योनी को उत्साहित कर पाने में कठिनाई हो रही है.
  • आपकी योनि पूरी तरह से बंद नहीं होना .
  • आप बिना कोई प्रतिरोध के साथ अपनी योनि में तीन या अधिक अंगुलियों डाल सकते हैं.
  • आपको साथी के साथ सम्भोग करते समय योनी में किसी भी प्रकार की उत्तेजना न आना
  • आपके साथी को सम्भोग करते समय योनी ढीली महसूस होना
  • योनि होंठ बाहर उभर गए हैं और यह दुसरे होठों की तरह लग रहे है.

योनी खुजली का प्रभावी हर्बल उपचार

योनी के सुजन को योनी का प्रदाह कहते है. इस के परिणाम में योनी स्त्राव, खुजली और दर्द हो सकता है.और अक्सर वो चिडचिडापन और योनिमुख के संक्रमण के कारन होता है. यह आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है. योनि खुजली योनि की बाहरी त्वचा पर खरोंचने की इच्छा को कहते हैं यह एक कष्टप्रद समस्या है. यह महिलाओं के लिए एक चिंताजनक समस्या है, खासकर अगर यह जीर्ड (क्रोनिक) रूप में होती है, और यह बहुत बड़ी असुविधा का कारण बन सकती है.
योनि खुजली योनि की त्वचा और आसपास के क्षेत्र के एक झुनझुनी या असहज जलन है. खुजली प्रभावित क्षेत्र को खरोंचने के लिए इच्छा हो सकती है. खुजली और जलन दोनो एक खमीर संक्रमण है, इसके अलावा यह कैंडिडिआसिस के रूप में भी जाना जाता है और यह काफी आम है तथा इसके कई संभावित लक्षण हैं. लक्षण योनी मोटी, योनि से सफेद स्राव और लेबिया की सूजन, योनि के आसपास की त्वचा शामिल हैं. खमीर संक्रमण कभी कभी सेक्स के माध्यम से फैल सकता है, लेकिन हमेशा नहीं, क्योंकि अक्सर लड़कियों में खमीर संक्रमण भी हो सकता है. तथा इसके कारण आपका साथी भी जननांग खुजली खरोंच से पीड़ित हो सकता है.
योनी खुजली के कारण
वुलवोवैजिनाइटिस सभी उम्र की महिलाओं को प्रभावित करती है और ये बहुत सामान्य है. योनी शोथ के विशिष्ट प्रकार हैं
  • कैंडिडिआसिस (चिड़िया)
  • बैक्टीरियल vaginosis (BV)
  • मौसा (एचपीवी के कारण या condyloma acuminata)
  • दाद सिंप्लेक्स (जननांग दाद)
  • दाद दाद (दाद)
  • टिनिअ (कवक)
योनी खुजली के लक्षण
एक औरत इस अवस्था में खुजली, अथवा जलन और कई बार योनी स्त्राव भी महसूस करती है. सामान्य में, ये योनिशोथ || योनि का प्रदाह के लक्षण हैं:
  • जलन और / या जननांग क्षेत्र की खुजली
  • अतिरिक्त प्रतिरक्षा कोशिकाओं की उपस्थिति के कारण लघु भगोष्ठ ,बृहद् भगोष्ठ और पेरिनिअल भाग पर सुजन ( जलन, लालिमा और सुजन ) होती है.
  • योनि स्त्राव
  • एकदम गन्दी योनि गंध
  • जब पेशाब करते है तब असुविधा या जलन होती है.
  • संभोग के साथ दर्द/जलन
वैजिटोट क्रीम क्या है?
वैजिटोट क्रीम पहला और एकमात्र चिकित्सकीय द्वारा परीक्षण किया हुआ योनि कायाकल्प क्रीम है. क्रीम जड़ी बूटियों के अर्क से तैयार की गयी है जोकि प्रयोग किये जाने के पश्चात् किसी प्रकार का सहप्रभाव नही छोडती तथा यह योनि की आंतरिक दीवारों पर एक मजबूत प्रभाव पैदा करने के लिए 24 घंटे तक चलने वाला बनाया गया है. और यह योनी के ढीलेपन को दूर करती है तथा यह खमीर संक्रमण के कारण अधिक से अधिक होने वाली खुजली को समाप्त कर देता है, और जिसके फलस्वरूप महिला और उसके साथी के लिए यौन सुख को बढ़ाती है.योनी में होने वाली खुजली व संक्रमण को दूर करती है.
वैजिटोट क्रीम क्या काम करता है?
यह दुनिया के कई हिस्सों से जड़ी बूटीयों को इखट्टा कर उनके मिश्रण से तैयार किया जाता है यह योनी के ढीलेपन को दूर करती है तथा यह खमीर संक्रमण के कारण अधिक से अधिक होने वाली खुजली को समाप्त कर देता है, और जिसके फलस्वरूप महिला और उसके साथी के लिए यौन सुख को बढ़ाती है.योनी में होने वाली खुजली व संक्रमण को दूर करती है. और मजबूत योनि स्वाभाविक रूप से, कठोरता वापस लाता है और वापस मूल आकार देता है.
यह कितनी देर में योनि में कसावट लाता है?
यह प्रतिएक महिला के लिए अलग अलग रूप से असर कारक होता है यह क्रीम आमतौर पर लगाने के 20 सेकंड के बाद काम करता है. तथा यह इसके अधिकतम प्रभाव के लिए के लियें 20 मिनट लगाते हैं.
वहाँ किसी भी पक्ष प्रभाव होगा?
बिना विशेष सह प्रभावों के लाखों लोगों को लाभ पहुंचता है। इस दवा के हर्बल होने के कारण अब तक कोई सह प्रभाव सामने नहीं आया है. वैजिटोट क्रीम 100% जड़ी बूटी आधारित है तथा यह प्रयोग करने के लियें बहुत अधिक सुरक्षित है
क्या बच्चे के जन्म के तुरंत बाद इसका उपयोग कर सकते हैं?
हाँ, आप इसको बच्चे के जन्म के तुरंत बाद इसका उपयोग कर सकते हैं. वास्तव में, वैजिटोट क्रीम को प्रसव के बाद भी आंतरिक चिकित्सा प्रक्रिया को गति देने के लियें इसका प्रयोग किया जाता है. महिलाओं को पारंपरिक रूप से बच्चे के जन्म के बाद अपनी योनि ऊतक को कसने और गर्भ को मजबूत बनाने के लियें इसका प्रयोग किया जाता है
वैजिटोट क्रीम कैसे लगनी चाहिए ?
  • पहले अपने हाथ साबुन के साथ धोने चाहिएं.
  • फिर गुनगुने पानी से आपनी योनी को धोना चाहिए उसके बाद योनि को सूखी और साफ तौलिया से पौछना चाहिए.
  • अपनी उंगली पर क्रीम निकले और अपने पूरे नाखून के आकार के बराबर क्रीम का उपयोग करें
  • अपनी उंगली की सहयता से अपनी योनि में 3 / 4 बार योनि दीवार पर समान रूप से क्रीम लगाये.
  • उपयोग के पश्चात् ट्यूब का ढक्कन बंद कर दें और वापस साबुन से आपने हाथों को अवश्य धो लें
यदि आप पहली बार के लिए वैजिटोट क्रीम का प्रयोग कर रहे, तब पहली 5 रातों के लिए दो बार (एक बार सुबह और एक बार रात में) क्रीम लगानी होती हैं. इसके बाद वैकल्पिक दिनों के लियें एक दिन में एक बार क्रीम लागू होती हैं

bawasir ke lakshan बवासीर या पाइल्स और होम्योपैथिक उपचार

कारण-कुछ व्यक्तियों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है। अतः अनुवांशिकता इस रोग का एक कारण हो सकता है। जिन व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहना पड़ता हो, जैसे बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों,- जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। कब्ज भी बवासीर को जन्म देती है, कब्ज की वजह से मल सूखा और कठोर हो जाता है जिसकी वजह से उसका निकास आसानी से नहीं हो पाता मलत्याग के वक्त रोगी को काफी वक्त तक पखाने में उकडू बैठे रहना पड़ता है, जिससे रक्त वाहनियों पर जोर पड़ता है और वह फूलकर लटक जाती हैं। बवासीर गुदा के कैंसर की वजह से या मूत्र मार्ग में रूकावट की वजह से या गर्भावस्था में भी हो सकता है।
बवासीर मतलब पाइल्स यह रोग बढ़ती उम्र के साथ जिनकी जीवनचर्या बिगड़ी हुई हो, उनको होता है। जिन लोगों को कब्ज अधिक रहता हो उनको यह आसानी से हो जाता है। इस रोग में गुदा द्वार पर मस्से हो जाते है। जो सुखे और फुले दो प्रकार के होते है। मल विसर्जन के वक्त इसमें असहनीय पीड़ा होती है तथा खून भी निकलता है इससे रोगी कमजोर हो जाता है। बवासीर को आधुनिक सभ्यता का विकार कहें तो कॊई अतिश्योक्ति न होगी । खाने पीने मे अनिमियता , जंक फ़ूड का बढता हुआ चलन और व्यायाम का घटता महत्व , लेकिन और भी कई कारण हैं बवासीर के रोगियों के बढने में ।
बवासीर के प्रकार
खूनी बवासीर
खूनी बवासीर में किसी प्रक़ार की तकलीफ नही होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिफॅ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नही जाता है।
बादी बवासीर
बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, ददॅ, खुजली, शरीर मै बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है उसे डाक्टर अपनी जवान में फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीडा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अंग़जी में फिस्टुला कहते हें। फिस्टुला प्रक़ार का होता है। भगन्दर में पखाने के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम केंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।
बवासीर के लक्षण
बवासीर का प्रमुख लक्षण है गुदा मार्ग से रक्तस्राव जो शुरूआत में सीमित मात्रा में मल त्याग के समय या उसके तुरंत बाद होता है। यह रक्त या तो मल के साथ लिपटा होता है या बूंद-बूंद टपकता है। कभी-कभी यह बौछार या धारा के रूप में भी मल द्वारा से निकलता है। अक्सर यह रक्त चमकीले लाल रंग का होता है, मगर कभी-कभी हल्का बैंगनी या गहरे लाल रंग का भी हो सकता है। कभी तो खून की गिल्टियां भी मल के साथ मिली होती हैं
  • मलद्वार के आसपास खुजली होना
  • मल त्याग के समय कष्ट का आभास होना
  • मलद्वार के आसपास पीडायुक्त सूजन
  • मलत्याग के बाद रक्त का स्त्राव होना
  • मल्त्याग के बाद पूर्ण रुप से संतुष्टि न महसूस करना

बवासीर से बचाव के उपाय
कब्ज के निवारण पर अधिक ध्यान दें । इसके लिये :
  • अधिक मात्रा मे पानी पियें
  • रेशेदार खाध पदार्थ जैसे फ़ल , सब्जियाँ और अनाज लें | आटे मे से चोकर न हटायें ।
  • मलत्याग के समय जोर न लगायें
  • व्यायाम करें और शारिरिक गतिशीलता को बनाये रखें ।
अगर बवासीर के मस्सों मे अधिक सूजन और दर्द हो तो :
गुनगुने पानी की सिकाई करें या ’सिट्स बाथ’ लें । एक टब मे गुनगुना पानी इतनी मात्रा मे लें कि उसमे नितंब डूब जायें  । इसमे २०-३० मि. बैठें ।
होम्योपैथिक उपचार :
किसी भी औषधि की सफ़लता रोगी की जीवन पद्दति पर निर्भर करती है । पेट के अधिकाशं रोगों मे रोगॊ अपने चिकित्सक पर सिर्फ़ दवा के सहारे तो निर्भर रहना चाहता है लेकिन  परहेज से दूर भागता है । अक्सर देखा गया है कि काफ़ी लम्बे समय तक मर्ज के दबे रहने के बाद मर्ज दोबारा उभर कर आ जाता है अत: बवासीर के इलाज मे धैर्य और संयम की आवशयकता अधिक पडती है ।
नीचे दी गई  औषधियाँ सिर्फ़ एक संकेत मात्र हैं , दवा पर हाथ आजमाने की कोशिश न करें , दवा के उचित चुनाव के लिये एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक पर भरोसा करें  ।

Monday, July 27, 2015

Tampon

tampon is a cylindrical mass of absorbent material, primarily used as a feminine hygiene product. Historically, the word "tampon" originated from the medieval French word "tampion", meaning a piece of cloth to stop a hole, a stampplug, or stopper.[1] At present, tampons are designed to be easily inserted into the vagina during menstruation and absorb the menstrual flow. Several countries regulate tampons as medical devices. In the United States, they are considered to be a Class II medical device by the Food and Drug Administration (FDA). They are sometimes used for hemostasis in surgery.
Women have used tampons during menstruation for thousands of years. In her book Everything You Must Know About Tampons (1981),Nancy Friedman writes, "[T]here is evidence of tampon use throughout history in a multitude of cultures. The oldest printed medical document, Papyrus Ebers, refers to the use of soft papyrus tampons by Egyptian women in the fifteenth century B.C. Roman women used wool tampons. Women in ancient Japan fashioned tampons out of paper, held them in place with a bandage, and changed them 10 to 12 times a day. Traditional Hawaiian women used the furry part of a native fern called hapu'u; and grasses, mosses and other plants are still used by women in parts of Asia."[2]
The tampon has been in use as a medical device since the 18th century, when antiseptic cotton tampons treated with salicylates were used to stop bleeding from bullet wounds.[3]
Drs. Earle Haas patented the first modern tampon, Tampax, with the tube-within-a-tube applicator. Gertrude Tendrich bought the patent rights to their company trademark Tampax and started as a seller and spokesperson in 1933.[4] Gertrich hired women to manufacture the item and then hired two salesmen to market the product to drugstores in Colorado and Wyoming and nurses to give public lectures on the benefits of the creation and was also instrumental in instituting newspapers to run public advertisements.
During her study of female anatomy, German gynecologist Dr. Judith Esser-Mittag, along with her husband Kyle Lucherini, developed a digital style tampon, which was made to be inserted without an applicator. In the late 1940s, Dr. Carl Hahn, together with Heinz Mittag, worked on the mass production of this tampon. Dr. Hahn sold his company toJohnson and Johnson in 1974.
Several political statements have been made in regards to tampon use. In 2000, a 10% Goods and Services Tax (GST) was introduced in Australia. While lubricant, condoms, incontinence pads and numerous medical items were regarded as essential and exempt from the tax, tampons continue to be charged GST. Prior to the introduction of GST, several states also applied a luxury tax to tampons at a higher rate than GST. Specific petitions such as "Axe the Tampon Tax" have been created to oppose this tax, although, no change has been made.

Design and packaging[edit]

Tampon inserted
Tampon design varies between companies and across product lines in order to offer a variety of applicators, materials and absorbencies.[7] Tampon applicators may be made of plastic or cardboard, and are similar in design to a syringe. The applicator consists of two tubes, an "outer", or barrel, and "inner", or plunger. The outer tube has a smooth surface to aid insertion and sometimes comes with a rounded end that is petaled.[8][9]
The two main differences are in the way the tampon expands when in use; applicator tampons generally expand axially (increase in length), while digital tampons will expand radially (increase in diameter).[10] Most tampons have a cord or string for removal. The majority of tampons sold are made of rayon, or a blend of rayon and cotton. Organic cotton tampons are made from only 100% cotton.[11]

Absorbency ratings[edit]

2 water drop marks mean that the absorbency is between 6 and 9 g.
Tampons are available in several absorbency ratings, which are consistent across manufacturers in the U.S.:[12]
  • Junior/Light absorbency: 6 g and under
  • Regular absorbency: 6 to 9 g
  • Super absorbency: 9 to 12 g
  • Super Plus absorbency 12 to 15 g
  • Ultra absorbency 15–18 g
A piece of test equipment referred to as a Syngina (short for synthetic Vagina) is usually used to test absorbency. The machine uses acondom into which the tampon is inserted, and synthetic menstrual fluid is fed into the test chamber.[13]

Toxic shock syndrome[edit]

Main article: Toxic shock syndrome
Dr. Philip M. Tierno Jr., Director of Clinical Microbiology and Immunology at the NYU Langone Medical Center, helped determine that tampons were behind Toxic Shock Syndrome (TSS) cases in the early 1980s. Tierno blames the introduction of higher-absorbency tampons in 1978, as well as the relatively recent decision by manufacturers to recommend that tampons can be worn overnight, for increased incidences of Toxic Shock Syndrome.[14] However, a later meta-analysis found that the absorbency and chemical composition of tampons are not directly correlated to the incidence of Toxic Shock Syndrome, whereas oxygen and carbon dioxide content is associated more strongly.[15][16] TheU.S. Food and Drug Administration suggests the following guidelines for decreasing the risk of contracting TSS when using tampons:
  • Follow package directions for insertion
  • Choose the lowest absorbency needed for one's flow
  • Consider using cotton or cloth tampons rather than rayon
  • Change the tampon at least every 4 to 6 hours
  • Alternate between tampons and pads
  • Avoid tampon usage overnight or when sleeping
  • Increase awareness of the warning signs of Toxic Shock Syndrome and other tampon-associated health risks
Following these guidelines can help protect tampon users from TSS.[citation needed] However, cases of tampon-connected TSS are extremely rare in the United States.[citation needed]
Sea sponges are also marketed as menstrual hygiene products. A study by the University of Iowa in 1980 found that commercially sold sea sponges contained sandgrit, andbacteria. Subsequently, sea sponges could also potentially cause Toxic Shock Syndrome.[17]

Clinical use[edit]

Tampons are currently being used and tested to restore and/or maintain the normal microbiota of the vagina to treat bacterial vaginosis.[18] Some of these are available to the public but come with disclaimers.[19] The efficacy of the use of these probiotic tampons has not been established.

Environment and waste[edit]

Ecological impact varies according to disposal method (whether a tampon is flushed down the toilet or placed in a garbage bin). Factors such as tampon composition will likewise impact water treatment systems or waste processing.[20] The average woman uses approximately 11,400 tampons in her lifetime.[21] Tampons are made of cotton, rayon, polyester, polyethylene, polypropylene, and fiber finishes. Aside from the cotton and fiber finishes, these materials are not bio-degradable. Organic cotton tampons are biodegradable, but must be composted to ensure they break down in a reasonable amount of time.
Environmentally friendly alternatives to using tampons are the menstrual cupreusable sanitary padsmenstrual sponges and reusable tampons. Menstrual cups are plastic cups that are worn inside the vagina to collect the fluid. Reusable sanitary pads are similar to disposable sanitary pads, but differ in the sense that they can be washed and used as many times as needed by the owner. For women who cannot or don't want to use a menstrual cup, but like internal products, sea sponges inserted like tampons may be a good option. These can also be washed out and reused and when they lose their absorbancy can be composted. Some women have also made reusable tampons, often pieces of knit or crocheted fabric that are rolled up and inserted into the vagina, and later washed, dried and reused.[22] These alternatives are environmentally friendly because they are reusable,and in some .