Monday, August 10, 2015

योनि का ढीलापन

हिलाओं योनि के सही आकार की समस्या का सामना. अक्सर बच्चे के जन्म के बाद योनि से आकार बदल जाता है. योनि ढीली होकर फ़ेल जाया करती है। महिलाओं को अक्सर योनि की समस्या का सामना रजोनिवृत्ति या अक्सर सेक्स की वजह से होता है.अत्यधिक कामुक स्थिति में पति या पार्टनर द्वारा तेज गति से संभोग करने,अप्राकृतिक एवं असुविधाजनक सेक्स-आसनों (sex positions) में बर्बरतापूर्वक सेक्स करने से ,कई बार-प्रसव होने के अलावा शारीरिक दुर्बलता व शिथिलता जैसे कारणों की उपस्थिति में स्त्री की योनि ढीली होकर फ़ेल जाया करती है। इससे स्त्री-पुरुष दोनो ही संभोग क्रिया में अपेक्षित आनंद की अनुभूति नहीं कर पाते हैं।
बेडोल पुरुष विकल्प के तौर पर अन्य स्त्री के साथ समीकरण बैठा लेते हैं और गृहस्थी जीवन मे सुख,शांति,आनंद का अभाव पसरने लगता है। समय रहते योनि प्रसारण और ढीलेपन को नियंत्रित कर नव योवना के समान योनि के आकार प्रकार को पुन: स्थापित करने के लिये स्त्रियों को निम्न उपायों का सहारा लेना लाभदायक रहेगा। पेशाब करते समय स्त्री कुछ समय के लिये पेशाब को रोके फ़िर चालू करे ऐसा एक बार के पेशाब के दौरान ३-४ बार करने से योनि की पेशियां सुद्रड बनती हैं। वज्रासन की स्थिति में बैठकर शंखचालिनी मुद्रा और मूल बंध लगाने का अभ्यास नियमित करने से योनि संकोच होता है। सभी नुस्खे अनुभूत और पूरी तरह कारगर हैं।हां, ये नुस्खे सभी एक साथ नहीं बल्कि सुविधानुसार एक-एक नुस्खा इस्तेमाल करना चाहिये।
यह महत्वपूर्ण है कि आकार में योनि रखना. योनि आकर के फ़ैल जाने से उनको कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है कभी कभी, महिलाओं को रोक उनकी विकृत योनि आपके यौन जीवन बहुत अधिक असहज लगने लगता है . योनि क्रीम का प्रयोग करें उत्तेजना योनि ओर्गास्म्स और योनि होंठ का सटीक आकार बढ़ा सकते हैं.
ढीली योनि के संकेत
कुछ कठिनाई हो सकती है यह पता लग पाने में कि आपकी योनि ढीली हैl क्योंकि वहाँ एक मानक जकड़न या आकार के रूप में कोई चीज नहीं है. यदि आप के साथी की यह शिकायत है कि आपकी योनि ढीली है , लेकिन हो सकता है की आपकी राय साथी के समान राय नहीं हो. लेकिन यहाँ कुछ संकेत दिए गए हैं जिससे यह पता लगाया जा सकता है की आपकी योनि ढीली है:
  • आप अपनी योनि में बड़ी वस्तु के डालने पर ही उत्तेजना महसूस करते हैं.
  • आपको तर्जनी से योनी को उत्साहित कर पाने में कठिनाई हो रही है.
  • आपकी योनि पूरी तरह से बंद नहीं होना .
  • आप बिना कोई प्रतिरोध के साथ अपनी योनि में तीन या अधिक अंगुलियों डाल सकते हैं.
  • आपको साथी के साथ सम्भोग करते समय योनी में किसी भी प्रकार की उत्तेजना न आना
  • आपके साथी को सम्भोग करते समय योनी ढीली महसूस होना
  • योनि होंठ बाहर उभर गए हैं और यह दुसरे होठों की तरह लग रहे है.

योनी खुजली का प्रभावी हर्बल उपचार

योनी के सुजन को योनी का प्रदाह कहते है. इस के परिणाम में योनी स्त्राव, खुजली और दर्द हो सकता है.और अक्सर वो चिडचिडापन और योनिमुख के संक्रमण के कारन होता है. यह आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है. योनि खुजली योनि की बाहरी त्वचा पर खरोंचने की इच्छा को कहते हैं यह एक कष्टप्रद समस्या है. यह महिलाओं के लिए एक चिंताजनक समस्या है, खासकर अगर यह जीर्ड (क्रोनिक) रूप में होती है, और यह बहुत बड़ी असुविधा का कारण बन सकती है.
योनि खुजली योनि की त्वचा और आसपास के क्षेत्र के एक झुनझुनी या असहज जलन है. खुजली प्रभावित क्षेत्र को खरोंचने के लिए इच्छा हो सकती है. खुजली और जलन दोनो एक खमीर संक्रमण है, इसके अलावा यह कैंडिडिआसिस के रूप में भी जाना जाता है और यह काफी आम है तथा इसके कई संभावित लक्षण हैं. लक्षण योनी मोटी, योनि से सफेद स्राव और लेबिया की सूजन, योनि के आसपास की त्वचा शामिल हैं. खमीर संक्रमण कभी कभी सेक्स के माध्यम से फैल सकता है, लेकिन हमेशा नहीं, क्योंकि अक्सर लड़कियों में खमीर संक्रमण भी हो सकता है. तथा इसके कारण आपका साथी भी जननांग खुजली खरोंच से पीड़ित हो सकता है.
योनी खुजली के कारण
वुलवोवैजिनाइटिस सभी उम्र की महिलाओं को प्रभावित करती है और ये बहुत सामान्य है. योनी शोथ के विशिष्ट प्रकार हैं
  • कैंडिडिआसिस (चिड़िया)
  • बैक्टीरियल vaginosis (BV)
  • मौसा (एचपीवी के कारण या condyloma acuminata)
  • दाद सिंप्लेक्स (जननांग दाद)
  • दाद दाद (दाद)
  • टिनिअ (कवक)
योनी खुजली के लक्षण
एक औरत इस अवस्था में खुजली, अथवा जलन और कई बार योनी स्त्राव भी महसूस करती है. सामान्य में, ये योनिशोथ || योनि का प्रदाह के लक्षण हैं:
  • जलन और / या जननांग क्षेत्र की खुजली
  • अतिरिक्त प्रतिरक्षा कोशिकाओं की उपस्थिति के कारण लघु भगोष्ठ ,बृहद् भगोष्ठ और पेरिनिअल भाग पर सुजन ( जलन, लालिमा और सुजन ) होती है.
  • योनि स्त्राव
  • एकदम गन्दी योनि गंध
  • जब पेशाब करते है तब असुविधा या जलन होती है.
  • संभोग के साथ दर्द/जलन
वैजिटोट क्रीम क्या है?
वैजिटोट क्रीम पहला और एकमात्र चिकित्सकीय द्वारा परीक्षण किया हुआ योनि कायाकल्प क्रीम है. क्रीम जड़ी बूटियों के अर्क से तैयार की गयी है जोकि प्रयोग किये जाने के पश्चात् किसी प्रकार का सहप्रभाव नही छोडती तथा यह योनि की आंतरिक दीवारों पर एक मजबूत प्रभाव पैदा करने के लिए 24 घंटे तक चलने वाला बनाया गया है. और यह योनी के ढीलेपन को दूर करती है तथा यह खमीर संक्रमण के कारण अधिक से अधिक होने वाली खुजली को समाप्त कर देता है, और जिसके फलस्वरूप महिला और उसके साथी के लिए यौन सुख को बढ़ाती है.योनी में होने वाली खुजली व संक्रमण को दूर करती है.
वैजिटोट क्रीम क्या काम करता है?
यह दुनिया के कई हिस्सों से जड़ी बूटीयों को इखट्टा कर उनके मिश्रण से तैयार किया जाता है यह योनी के ढीलेपन को दूर करती है तथा यह खमीर संक्रमण के कारण अधिक से अधिक होने वाली खुजली को समाप्त कर देता है, और जिसके फलस्वरूप महिला और उसके साथी के लिए यौन सुख को बढ़ाती है.योनी में होने वाली खुजली व संक्रमण को दूर करती है. और मजबूत योनि स्वाभाविक रूप से, कठोरता वापस लाता है और वापस मूल आकार देता है.
यह कितनी देर में योनि में कसावट लाता है?
यह प्रतिएक महिला के लिए अलग अलग रूप से असर कारक होता है यह क्रीम आमतौर पर लगाने के 20 सेकंड के बाद काम करता है. तथा यह इसके अधिकतम प्रभाव के लिए के लियें 20 मिनट लगाते हैं.
वहाँ किसी भी पक्ष प्रभाव होगा?
बिना विशेष सह प्रभावों के लाखों लोगों को लाभ पहुंचता है। इस दवा के हर्बल होने के कारण अब तक कोई सह प्रभाव सामने नहीं आया है. वैजिटोट क्रीम 100% जड़ी बूटी आधारित है तथा यह प्रयोग करने के लियें बहुत अधिक सुरक्षित है
क्या बच्चे के जन्म के तुरंत बाद इसका उपयोग कर सकते हैं?
हाँ, आप इसको बच्चे के जन्म के तुरंत बाद इसका उपयोग कर सकते हैं. वास्तव में, वैजिटोट क्रीम को प्रसव के बाद भी आंतरिक चिकित्सा प्रक्रिया को गति देने के लियें इसका प्रयोग किया जाता है. महिलाओं को पारंपरिक रूप से बच्चे के जन्म के बाद अपनी योनि ऊतक को कसने और गर्भ को मजबूत बनाने के लियें इसका प्रयोग किया जाता है
वैजिटोट क्रीम कैसे लगनी चाहिए ?
  • पहले अपने हाथ साबुन के साथ धोने चाहिएं.
  • फिर गुनगुने पानी से आपनी योनी को धोना चाहिए उसके बाद योनि को सूखी और साफ तौलिया से पौछना चाहिए.
  • अपनी उंगली पर क्रीम निकले और अपने पूरे नाखून के आकार के बराबर क्रीम का उपयोग करें
  • अपनी उंगली की सहयता से अपनी योनि में 3 / 4 बार योनि दीवार पर समान रूप से क्रीम लगाये.
  • उपयोग के पश्चात् ट्यूब का ढक्कन बंद कर दें और वापस साबुन से आपने हाथों को अवश्य धो लें
यदि आप पहली बार के लिए वैजिटोट क्रीम का प्रयोग कर रहे, तब पहली 5 रातों के लिए दो बार (एक बार सुबह और एक बार रात में) क्रीम लगानी होती हैं. इसके बाद वैकल्पिक दिनों के लियें एक दिन में एक बार क्रीम लागू होती हैं

bawasir ke lakshan बवासीर या पाइल्स और होम्योपैथिक उपचार

कारण-कुछ व्यक्तियों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है। अतः अनुवांशिकता इस रोग का एक कारण हो सकता है। जिन व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहना पड़ता हो, जैसे बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों,- जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। कब्ज भी बवासीर को जन्म देती है, कब्ज की वजह से मल सूखा और कठोर हो जाता है जिसकी वजह से उसका निकास आसानी से नहीं हो पाता मलत्याग के वक्त रोगी को काफी वक्त तक पखाने में उकडू बैठे रहना पड़ता है, जिससे रक्त वाहनियों पर जोर पड़ता है और वह फूलकर लटक जाती हैं। बवासीर गुदा के कैंसर की वजह से या मूत्र मार्ग में रूकावट की वजह से या गर्भावस्था में भी हो सकता है।
बवासीर मतलब पाइल्स यह रोग बढ़ती उम्र के साथ जिनकी जीवनचर्या बिगड़ी हुई हो, उनको होता है। जिन लोगों को कब्ज अधिक रहता हो उनको यह आसानी से हो जाता है। इस रोग में गुदा द्वार पर मस्से हो जाते है। जो सुखे और फुले दो प्रकार के होते है। मल विसर्जन के वक्त इसमें असहनीय पीड़ा होती है तथा खून भी निकलता है इससे रोगी कमजोर हो जाता है। बवासीर को आधुनिक सभ्यता का विकार कहें तो कॊई अतिश्योक्ति न होगी । खाने पीने मे अनिमियता , जंक फ़ूड का बढता हुआ चलन और व्यायाम का घटता महत्व , लेकिन और भी कई कारण हैं बवासीर के रोगियों के बढने में ।
बवासीर के प्रकार
खूनी बवासीर
खूनी बवासीर में किसी प्रक़ार की तकलीफ नही होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिफॅ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नही जाता है।
बादी बवासीर
बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, ददॅ, खुजली, शरीर मै बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है उसे डाक्टर अपनी जवान में फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीडा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अंग़जी में फिस्टुला कहते हें। फिस्टुला प्रक़ार का होता है। भगन्दर में पखाने के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम केंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।
बवासीर के लक्षण
बवासीर का प्रमुख लक्षण है गुदा मार्ग से रक्तस्राव जो शुरूआत में सीमित मात्रा में मल त्याग के समय या उसके तुरंत बाद होता है। यह रक्त या तो मल के साथ लिपटा होता है या बूंद-बूंद टपकता है। कभी-कभी यह बौछार या धारा के रूप में भी मल द्वारा से निकलता है। अक्सर यह रक्त चमकीले लाल रंग का होता है, मगर कभी-कभी हल्का बैंगनी या गहरे लाल रंग का भी हो सकता है। कभी तो खून की गिल्टियां भी मल के साथ मिली होती हैं
  • मलद्वार के आसपास खुजली होना
  • मल त्याग के समय कष्ट का आभास होना
  • मलद्वार के आसपास पीडायुक्त सूजन
  • मलत्याग के बाद रक्त का स्त्राव होना
  • मल्त्याग के बाद पूर्ण रुप से संतुष्टि न महसूस करना

बवासीर से बचाव के उपाय
कब्ज के निवारण पर अधिक ध्यान दें । इसके लिये :
  • अधिक मात्रा मे पानी पियें
  • रेशेदार खाध पदार्थ जैसे फ़ल , सब्जियाँ और अनाज लें | आटे मे से चोकर न हटायें ।
  • मलत्याग के समय जोर न लगायें
  • व्यायाम करें और शारिरिक गतिशीलता को बनाये रखें ।
अगर बवासीर के मस्सों मे अधिक सूजन और दर्द हो तो :
गुनगुने पानी की सिकाई करें या ’सिट्स बाथ’ लें । एक टब मे गुनगुना पानी इतनी मात्रा मे लें कि उसमे नितंब डूब जायें  । इसमे २०-३० मि. बैठें ।
होम्योपैथिक उपचार :
किसी भी औषधि की सफ़लता रोगी की जीवन पद्दति पर निर्भर करती है । पेट के अधिकाशं रोगों मे रोगॊ अपने चिकित्सक पर सिर्फ़ दवा के सहारे तो निर्भर रहना चाहता है लेकिन  परहेज से दूर भागता है । अक्सर देखा गया है कि काफ़ी लम्बे समय तक मर्ज के दबे रहने के बाद मर्ज दोबारा उभर कर आ जाता है अत: बवासीर के इलाज मे धैर्य और संयम की आवशयकता अधिक पडती है ।
नीचे दी गई  औषधियाँ सिर्फ़ एक संकेत मात्र हैं , दवा पर हाथ आजमाने की कोशिश न करें , दवा के उचित चुनाव के लिये एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक पर भरोसा करें  ।