Sunday, January 10, 2016

एन्डोमेट्रीओसिस बांझपन अर्थात अन्तर्गर्भाशय-अस्थानता के लक्षण

कहां होता है एंडोमेट्रिओसिस

एंडोमेट्रिअल उत्तक जो एंडोमेट्रिओसिस का कारण बन सकते हैं वे अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, आंत और मलाशय आदि में फैल सकते हैं। ये गर्भाशय, ब्‍लैडर और मूत्रवाहिनी और गर्भाशय के पीछे भी हो सकता है। इसके साथ ही एंडोमेट्रिओसिस श्रोणि क्षेत्र के अन्‍य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। इसके लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि एंडोमेट्रिअल की अतिरिक्‍त उत्तक किस क्षेत्र में बढ़े हैं। और समय के साथ-साथ इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं।

स्‍कार टिशू डेवलपमेंट

एंडोमेट्रिअल के अतिरिक्‍त उत्तक जो एंडोमेट्रिओसिस का कारण बन सकते हैं उसी तरह हार्मोन से प्रभावित हो सकते हैं, जैसे गर्भाशय अस्‍तर हार्मोन से प्रभावित होता है। हर महीने उत्तक बनते और समाप्‍त हो जाते हैं। जब ये उत्तक नष्‍ट होते हैं तो रक्‍त स्राव होता है जिससे अन्‍य उत्तकों पर निशान पड़ जाते हैं। ये स्‍कार टिशू श्रोणि क्षेत्र के अंगों और उत्तकों को एक दूसरे पर बढ़ने का कारण बनते हैं।

दर्द के लक्षण

श्रोणि में दर्द एंडोमेट्रिओसिस का सबसे सामान्‍य लक्षण है। मूत्र त्‍यागते, संभोग करते और मल त्‍याग करते समय तेज दर्द की शिकायत हो सकती है। मासिक धर्म शुरू होने से पहले भी महिला को तेज दर्द हो सकता है। श्रोणि दर्द और ऐंठन जैसी समस्‍यायें मासिक धर्म के दौरान काफी बढ़ सकती हैं। मासिक धर्म के दौरान होने वाला यह दर्द पेट और कमर की मांसपेशियों तक जा सकता है।

अनियमित रक्‍त स्राव

एंडोमेट्रिओसिस से महीने में कई बार रक्‍त स्राव हो सकता है। इसके साथ ही मासिक धर्म के दौरान होने वाला रक्‍त स्राव भी सामान्‍य से अधिक हो सकता है।

प्रजनन क्षमता समाप्‍त होना

एंडोमेट्रिओसिस का बुरा प्रभाव महिला की प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। ये अतिरिक्‍त उत्तक पुरुष वीर्य को महिला गर्भाशय में जाने से रोक लेते हैं, इससे महिला गर्भधारण नहीं कर पाती। एक अनुमान के अनुसार हर तीसरा महिला को एंडोमे‍ट्रिओसिस हो सकता है।

ईलाज

इस रोग का इलाज हार्मोन दवाओं अथवा सर्जरी के जरिये हो सकता है। सर्जरी से अतिरिक्‍त उत्तकों को हटा दिया जाता है। हालांकि, करीब पचास फीसदी मामलों में सर्जरी के बाद एंडोमेट्रिओसिस के लक्षण लौट आते हैं। कुछ गंभीर मामलों में लंबे आराम के लिए हिस्‍टेरेक्‍टॉमी का सहारा भी लिया जाता है।

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