हस्तमैथुन करने के लिए हाथ को आगे तथा पीछे करते रहें, जब आपको यह महसूस हो कि वीर्य निकलने वाला है तो उसी समय तुरंत ही रुक जाना चाहिए। उसके बाद कुछ समय रुककर इस कार्य को दुबारा से शुरू कर देना चाहिए। इस क्रिया को करते समय कम से कम पंद्रह मिनट का समय लगाना चाहिए तथा इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जब रुके और जब शुरू करें तो इन दोनों के बीच इतना अंतर होना चाहिए कि पुनः हस्तमैथुन करते समय वीर्यपात करना जरुरी न हो जाए। इस व्यायाम को करने का यह मतलब होता है कि पुरुष वीर्यपात के निकलने से पहले के कारण को जान लें और वीर्य के निकलने से पहले ही अपनी उत्तेजना को रोकने के बारे में प्रैक्टिस करना सीख लें।
दूसरी विधिः-
यह विधि दूसरी विधि की ही तरह होती है। इस विधि में स्त्री पुरुष के ऊपर होती है तथा इस विधि में स्त्री की भूमिका बहुत ही जरुरी होती है। इस विधि में पुरुष स्त्री के कूल्हों को पकड़कर आगे-पीछे करता है। जब पुरुष यह महसूस करने लगे कि उसका वीर्य बाहर निकलने ही वाला है तो उसे स्त्री को इस क्रिया को करने के लिए रोक देना चाहिए। कुछ समय आराम करने के बाद दुबारा से इस क्रिया को शुरू कर देना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही इस बात को भी जरुर ध्यान रखें कि पुरुष के अंदर तनाव शीघ्रता से न आए। लिंग के अंदर तनाव धीरे-धीरे से ही आना चाहिए। पुरुष को इस क्रिया को तब तक करना चाहिए जब तक वे दोनों इस कार्य से संतुष्ट नहीं हो जाते हैं। इन तीनों विधियों को सीखने के बाद पुरुष किसी भी व्यायाम के द्वारा से संभोग क्रिया कर सकता है।
1 विधिः-
इस विधि को करने के लिए सबसे पहले पति पीठ के बल चित लेट जाए। इसके पश्चात पत्नी पति की टांगों के बीच में इस प्रकार से बैठे कि पत्नी की टांगें पुरुष की टांगों के ठीक नीचे हो। इसके बाद पत्नी अपने पति के लिंग को अपने हाथों से हस्तमैथुन करें। जब पति को यह लगने लगे कि उसका वीर्य बाहर निकलने वाला है तो पति को शीघ्र ही अपनी पत्नी को रुकने के लिए कह दे तो उसी समय पत्नी उसके लिंग पर से अपना हाथ हटा ले। इसके कुछ समय के बाद आराम करने पर पुरुष दूबारा से अपनी स्त्री को इस कार्य को करने के लिए कहे तथा इसके बाद पुनः आराम करें। इस कार्य को करने के लिए पंद्रह मिनट से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए। इस क्रिया को करते समय पुरुष को केवल अपनी कार्य पर ही ध्यान रखना चाहिए। सेक्स करते समय पुरुष को स्त्री के अंगों या सेक्स का बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। इस व्यायाम को करने रहने के बाद पुरुष 10 या 15 मिनट के बाद ही वीर्यपात करता है।
2 विधिः-
दूसरी विधि को करने के लिए स्त्री को वीर्यपात तक पहुंचने की बजाय पुरुष के लिंग के अंदर तनाव आने तक उसको उत्तेजित करें, इस तरह से करने के बाद स्त्री को पुरुष के ऊपर आ जाना चाहिए। इसके पश्चात स्त्री धीरे-धीरे पुरुष के लिंग को अपने हाथों से पकड़कर योनि के अंदर डाल दें। इसके बाद जब लिंग योनि के अंदर चला जाए तो स्त्री को चाहिए कि वह इस तरह बिना किसी चिंता के बिल्कुल चुप होकर लेटी रहें कि पुरुष को लगे कि उसका लिंग स्त्री की योनि के अंदर ही है। ऐसा करने के बाद जब पुरुष को यह महसूस हो कि उसका वीर्य निकलने वाला है तो उसे स्त्री को अपने ऊपर से हटा देना चाहिए। पुरुष का तनाव समाप्त हो जाने पर इस प्रकार का कार्य 15 मिनट तक करना चाहिए।
3 विधिः-
इस व्यायाम को करने के लिए अपने लिंग को इस प्रकार से पकड़े कि आपके हाथ का ज्यादा से ज्यादा स्पर्श आपके लिंग के साथ हो, यानि की लिंग योनि के अंदर जाने की जगह बना लें। लिंग के ऊपर अगर जरा सी कोई क्रीम या कोई चिकना तरल पदार्थ लगा लिया जाए तो उत्तेजना बनी रहेगी। चिकनाई लगाने से पुरुष को यह महसूस होता है कि वह योनि के अंदर लिंग से कार्य कर रहा है। इस प्रकार इस क्रिया को करने से वीर्य काफी समय बाद बाहर निकलता है।
अपने साथी की सहायता से वीर्यपात पर काबू करने की प्रैक्टिसः-